जब सीता जी से हुआ था यह घोर पाप, जानकर यकीन नहीं होगा

आज हम आपको बताने वाले है कि किस तरह नारद जी ने विष्णु जी के छल से क्रोधित होकर उन्हें स्त्री वियोग सहने का श्राप दिया था जिसके बाद विष्णु जी का जन्म श्री राम के रूप में हुआ और वे अपनी पत्नी सीता जी से अलग हो गए थे। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से यह बताएंगे कि सिर्फ श्री राम को ही विष्णु रूप में श्राप नहीं मिला था बल्कि माता सीता को भी अपने पति का वियोग सहने का श्राप मिला था। पवित्र हिंदू ग्रन्थ रामायण के अनुसार एक धोबी के संदेह करने पर श्री राम ने सीता जी को त्याग दिया था लेकिन इसके पीछे भी एक कहानी है।
         आइये अब जानते है की वह कौन था....जिसने सीता जी को श्राप दिया था और इसकी वजह क्या थी प्रचलित कथा के अनुसार एक बार देवी सीता अपनी सहेलियों के साथ अपने महल के बगीचे में घूम रही थीं तभी अचानक उनकी दृष्टि पेड़ पर बैठे एक तोते के जोड़े पर पड़ी जो सीता जी के विषय में बातें कर रहा था। उनके मुख से अपने भविष्य की चर्चा सुनकर सीता जी को बड़ा आश्चर्य हुआ। कहते हैं वे दोनों प्रभु श्री राम के बारे में बात कर रहे थे। यह सुनकर सीता जी की जिज्ञासा और भी बढ़ गई। तब उन्होंने उस तोते के जोड़े को पकड़वा लिया और उनसे अपने भावी पति के बारे में पूछने लगीं। सीता जी ने बड़े प्यार से उन दोनों पर अपना हाथ फेरते हुए पूछा की उन्हें भविष्य की इतनी जानकारी कहाँ से मिली। इस पर उन दोनों ने बताया कि वे महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में रहते हैं जहां वाल्मीकि प्रतिदिन राम सीता की चर्चा करते हैं इसलिए उन्हें इन दोनों के जीवन के बारे में सारा ज्ञान हो गया। इतना ही नहीं तोते ने सीता जी को बताया कि अयोध्या के राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र श्री राम स्वयंवर में शिव जी का धनुष तोड़ेंगे और उन्हीं के साथ सीता जी का विवाह होगा।
सीता की ज़िद ने किया जोड़े को अलग कहा जाता है कि सीता जी के सवाल खत्म ही नहीं हो रहे थे। अंत में वे दोनों तोते थक गए और जाने की आज्ञा मांगने लगे किन्तु सीता जी उन्हें यह कह कर रोकने लगी कि जब तक उनका विवाह श्री राम से नहीं हो जाता वे दोनों मिथिला में उनके महल में ही रहेंगे। इस पर नर तोते ने उन्हें समझते हुए कहा कि पक्षी बंधन में नहीं रह सकते उनका असली घर तो खुला आसमान होता है। लेकिन सीता जी कहां मानने वाली थीं वे तो हठ किये बैठी थी। फिर उन्होंने नर तोते से कहा कि अगर वो जाना चाहता है तो जा सकता है लेकिन मादा तोता तो उन्हीं के पास रहेगी।
दुखी तोते ने दिया श्राप सीता जी के यह बात सुनकर नर तोता बहुत ही दुखी हो गया और सीता जी से प्रार्थना करने लगा कि उसकी पत्नी गर्भवती है इस वक़्त उसे अपने पति की सबसे ज़्यादा ज़रुरत है इसलिए वे दोनों को अलग न करें। किन्तु सीता जी फिर भी नहीं मानी तब तोते को गुस्सा आ गया और उसने उन्हें श्राप दे दिया कि जिस प्रकार गर्भवस्था में उन्होंने एक पत्नी को उसके पति से अलग किया है ठीक उसी प्रकार उन्हें भी अपने गर्भावस्था में पति से बिछड़ना पड़ेगा। नर तोता अपनी पत्नी से अलग होने का दुःख बर्दाश नहीं कर पाया और कुछ दिनों बाद उसकी मृत्यु हो गयी। कहते हैं अगले जन्म में उस तोते ने धोबी का जन्म लिया जिसने रावण के क़ैद से आज़ाद हुई सीता जी के चरित्र पर ऊँगली उठाई थी जिसके पश्चात श्री राम ने उन्हें सदा के लिए त्याग दिया था। उस वक़्त माता सीता के गर्भ में लव और कुश पल रहे थे।

Comments

Popular posts from this blog

Avengers: infinity war movie review

Top 5 romantic honeymoon destinations in India

अदालत को क्यों लगानी पड़ी अभिनेता देवानंद के सफेद शर्ट और काले कोट पहननें पर पाबंदी